Thursday, April 30, 2020

Knowledge tech 30/4/20

Hello friends, I welcome you to Virendra Kumar in my blog Knowledge Tech. In this issue we will know about filters. There are many types of filters. This is the important part. Without it, the working efficiency and life of the engine can be very short. Whenever you are servicing the engine, you can see how harmful and harmful it is inside the filter. The contaminated elements remain as dark black waste. The filtered clean oil is found in the engine inside the filter, only then the engine works smoothly and its life increases. Hence the time or kilometers written in the maintenance book of the vehicle Filter by
 Badlaba should be taken. More important information of the filter in the next article.

Knowledge tech 30/4/20

हेलो दोस्तों मै वीरेन्द्र कुमार आपका स्वागत करता हूँ अपने ब्लोग नोलेज टेक मे।इस अंक मे जानेंगे,फिल्टर पेपर मिडिया के बारे में।कियोंकि फिल्टर मे सबसे महत्वपूर्ण पेपर ही होता है।पर आप ये न समझे की जिस पेपर पर लिखते या पढते है ये वो पेपर होता है।इसकी पेपर बिशेष प्रकार से बनायी जाती है:-1,सेल्युल्योस(लकरी)की मिश्रण से बनायी जाती है।इस पेपर मे छिद्र थोरे बरे होते है,जिसमे दस या इससे ऊपर के मायक्रोन साइज़ के डस्ट या धुल रोकने की क्षमता होती है।50या60%परसेंट ऑइल फिल्टरेषण करती है,परंतु इसमे ऑइल मे मौजूद नमी अवशोषित करने की भी क्षमता होतीहै।
इस पेपर की क्षमता (stranth)कम होती है,जिस कारण ये सस्ता होता है और 100% कम भी नही करती है ।और जब इसके छिद्र चॉक या जाम होने की स्थिति मे इंजन तेल अवशोषित करने के लिये अपनी पावर या क्षमता बढाती है।तब इसके छिद्र खुलने लगते है,और छोटी-छोटी दूषित कण भी तेल साथ पास हो जाती है।और पेपर भी फटने की चांस भ(मौका)बढ़ जाती है।इसलिये अपने वाहन की मेन्टीनेंस बुक मे लिखे समय या किलोमीटर के निर्देशानुसार फिल्टर बदलबा लेनी चाहिये।नही तो इंजन की कार्य क्षमता प्रभावित होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।और दो तरह की पेपर की उल्लेख अगले अंक मे।तो दोस्तो ये लेख आपको कैसी लगी,अपना कमेंट और सुझाब अवस्य दे।धन्यवाद ।
         





Wednesday, April 29, 2020

नोलेज टेक 30/4/20

हेलो दोस्तों मै वीरेन्द्र कुमार आपका स्वागत करता हूँ अपने ब्लोग के इस अंक मे।आज हम बात करेंगे ऑइल पेपर फिल्टर की।पहले इसकी बनाबट की चर्चा कर लेते है ।कियोंकि तभी आप अछी तरह समझ पायेंगे।1,पेपर मिडिया,2,सर्कल(गोलाकार)टाईप की जाली,3,लेवल,4,टॉप-बॉटम,(उपर-निचे)लगने वाला कैप,5,एक विषेश प्रकार का गम्।इन सभी को असेम्बलीन्ग करके फिल्टर का आकर दिया जाता है।फिर गम की सहयता से उपर-निचे टॉप बॉटम चिपका (पेस्ट) दिया जाता है।बॉटम मे एक सेफ्टी वाल्व लगा रहता है।इस तरह फिल्टर तैयार किया जाता है।इसका पेपर पिलिटींग की जाती है।जिससे ऑइल मे मौजूद विनाषकारी और दूषित तत्व को अधिक से अधिक फिल्टरेषण के बाद स्टोर किया जा सके। कियोंकि फिल्टर मे सबसे महत्वपूर्ण पेपर कि ही  काम होती है।इसमे बहुत छोटी छोटी छिद्र होते है
जिसे  मैक्रोमीटर या(बीटा) द्वारा मापा जाता है।जो तकरीबन (Bx-10)या पांच मक्रोन के बराबर होता है।या फिर पेपर मिडिया के ऊपर निर्भर करता है।फिल्टर पेपर भी तीन प्रकार की होती है।जिसकी चर्चा हम अगले लेख मे करेंगे।जब फिल्टरेषण के दौरान पेपर की छिद्र ब्लोक या जाम हो जाती है ।और इंजन मे तेल की कमी होने लगती है।तब इंजन अपनी क्षमता (पावर)बढा कर तेल खिचती (ग्रहण)है।इस इस्थिती मे फिल्टर वाल ऊपर उठ जाती है और तेल सिधे इंजन मे चली जाती है।साथ ही हानिकारक तत्व भी चली जाती है।जिससे इंजन को नुकसान पहुंचती है।इसलिये फिल्टर समय से बदलबा लेनी चाहिए।तो दोस्तों ये लेख आपको कैसी लगी,अपना कमेंट या सुझाब जरुर लिखे।धन्यवाद ।

                                     



              







                         
                                                                      




































     






























नोलेज टेक 29/4/2020

हेलो दोस्तों,मै वीरेन्द्र कुमार आपका स्वागत करता हूँ ।अपने ब्लोग के इस अंक मे ।जैसा की मै अपने पिछले अंक मे ऑइल फिल्टर के बारे में बताया था ।कि हमारेआपके वाहन के लिये फिल्टर कितना महत्वपूर्ण है ।क्योंकि इसके विना इंजन का लाइफ और माईलेज कठिन है ।इसलिये जबभी आप फिल्टर खरीदें तो असली का पहचान जरूर कर ले ।पहले तो आप अपने विस्व्स्नीय दुकानदार या मकेनीक से ही ले ।और कहे मुझे असली पार्ट ही चाहिये ।अगर आपने वाहन की
पहली सर्विस की फिल्टर देखी हो।तब आप बरी असानी से पहचान सकते है ।दुसरी कई ब्राण्डडेड कंपनी अपने पार्ट पर होलोग्राम लगाती है।और होलोग्राम नकली पर भी होती है ।पर दोनो मे बहुत फर्क होता है।असली को जबआप तिरछा करेंगे तो आपको कई कलर दिखेगा लगभग सात कलर होता है।और नकली को देखेंगे तो दो या तीन कलर दिखेगा।दोस्तों मै आज बात कर रहा हूँ लोहे के सीट बनी फिल्टर की।मै पहले ही बता चुका हूं फिल्टर कई प्रकार की होती है ।दोस्तों अगले अंक मे पेपर फिल्टर के बारे में जानेंगे।रीड कोन्तिनीयू।

Tuesday, April 28, 2020

नोलेज टेक 28/4/20

हेलो दोस्तों मै वीरेन्द्र कुमार आपका स्वागत करता हूँ ।तकनीकी ज्ञान की इस पोस्ट मे।तो आज हम बात करेंगे आटोमोबाइल फिल्टर के बारे मे।दोस्तों 
वैसे फिल्टर तो कई प्रकार के होते हैं ।जैसे कि आयल,एयर,गियर,केवीन,डीजल,और हायड्रोलीक फिल्टर इत्यादि।पर आज हम बात करेंगे ऑइल फिल्टर के बारे में।जो कि आपके वाहन के इंजन की बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है।यह फिल्टर और ऑइल समय या किलोमीटर के हिसाब बदलनी चाहिए होती है।जो की बहुत ही महत्वपूर्ण है।क्योंकि 
जो ऑइल आप अपने इंजन में डालते हैं ।उसमे कई प्रकार के हानिकारक तत्व होते हैं ।जीसे साफ़ करना बहुत जरूरी होता है ।जिससे इंजन को स्वक्ष तेल मिल सके ।और इंजन की कार्य छमता और उसकी लाइफ साथ ही आपकी वाहन की एभरेज भी अछी होती है ।वैसे तो इसे घण्टो या किलोमीटर के हिसाब से बदली (चेंज) की जाती है ।जो सभी वाहन के हिसाब से अलग-अलग होती है ।वो आपकी वाहन की मेन्टीनेंस बुक में दी होती है ।उसी के हिसाब से बदलबानी चाहिए ।ये कितनी महत्वपूर्ण है,ये जानने के लिए आप अपनी वाहन की  सर्विस में बदली हुईं फिल्टर देखकर लगा सकते हैं ।कितनी गन्दगी होती है ।जीसे इंजन में जाने से रोकती है ।इसलिये ये हमे जाँच परख कर और अछे ब्राण्ड की लेनी चाहिए।फिल्टर को कैसे जांचे परखे और ये कैसे वर्क करती है ।येअगले लेख में?दोस्तों आप अपना कमेंट या सुझाब हमे लिख सकते हैं ।की