हेलो दोस्तों मै वीरेन्द्र कुमार आपका स्वागत करता हूँ अपने ब्लोग नोलेज टेक मे।इस अंक मे जानेंगे,फिल्टर पेपर मिडिया के बारे में।कियोंकि फिल्टर मे सबसे महत्वपूर्ण पेपर ही होता है।पर आप ये न समझे की जिस पेपर पर लिखते या पढते है ये वो पेपर होता है।इसकी पेपर बिशेष प्रकार से बनायी जाती है:-1,सेल्युल्योस(लकरी)की मिश्रण से बनायी जाती है।इस पेपर मे छिद्र थोरे बरे होते है,जिसमे दस या इससे ऊपर के मायक्रोन साइज़ के डस्ट या धुल रोकने की क्षमता होती है।50या60%परसेंट ऑइल फिल्टरेषण करती है,परंतु इसमे ऑइल मे मौजूद नमी अवशोषित करने की भी क्षमता होतीहै।
इस पेपर की क्षमता (stranth)कम होती है,जिस कारण ये सस्ता होता है और 100% कम भी नही करती है ।और जब इसके छिद्र चॉक या जाम होने की स्थिति मे इंजन तेल अवशोषित करने के लिये अपनी पावर या क्षमता बढाती है।तब इसके छिद्र खुलने लगते है,और छोटी-छोटी दूषित कण भी तेल साथ पास हो जाती है।और पेपर भी फटने की चांस भ(मौका)बढ़ जाती है।इसलिये अपने वाहन की मेन्टीनेंस बुक मे लिखे समय या किलोमीटर के निर्देशानुसार फिल्टर बदलबा लेनी चाहिये।नही तो इंजन की कार्य क्षमता प्रभावित होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।और दो तरह की पेपर की उल्लेख अगले अंक मे।तो दोस्तो ये लेख आपको कैसी लगी,अपना कमेंट और सुझाब अवस्य दे।धन्यवाद ।
इस पेपर की क्षमता (stranth)कम होती है,जिस कारण ये सस्ता होता है और 100% कम भी नही करती है ।और जब इसके छिद्र चॉक या जाम होने की स्थिति मे इंजन तेल अवशोषित करने के लिये अपनी पावर या क्षमता बढाती है।तब इसके छिद्र खुलने लगते है,और छोटी-छोटी दूषित कण भी तेल साथ पास हो जाती है।और पेपर भी फटने की चांस भ(मौका)बढ़ जाती है।इसलिये अपने वाहन की मेन्टीनेंस बुक मे लिखे समय या किलोमीटर के निर्देशानुसार फिल्टर बदलबा लेनी चाहिये।नही तो इंजन की कार्य क्षमता प्रभावित होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।और दो तरह की पेपर की उल्लेख अगले अंक मे।तो दोस्तो ये लेख आपको कैसी लगी,अपना कमेंट और सुझाब अवस्य दे।धन्यवाद ।
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