हेलो दोस्तों मै वीरेन्द्र कुमार आपका स्वागत करता हूँ अपने ब्लोग के इस अंक मे।आज हम बात करेंगे ऑइल पेपर फिल्टर की।पहले इसकी बनाबट की चर्चा कर लेते है ।कियोंकि तभी आप अछी तरह समझ पायेंगे।1,पेपर मिडिया,2,सर्कल(गोलाकार)टाईप की जाली,3,लेवल,4,टॉप-बॉटम,(उपर-निचे)लगने वाला कैप,5,एक विषेश प्रकार का गम्।इन सभी को असेम्बलीन्ग करके फिल्टर का आकर दिया जाता है।फिर गम की सहयता से उपर-निचे टॉप बॉटम चिपका (पेस्ट) दिया जाता है।बॉटम मे एक सेफ्टी वाल्व लगा रहता है।इस तरह फिल्टर तैयार किया जाता है।इसका पेपर पिलिटींग की जाती है।जिससे ऑइल मे मौजूद विनाषकारी और दूषित तत्व को अधिक से अधिक फिल्टरेषण के बाद स्टोर किया जा सके। कियोंकि फिल्टर मे सबसे महत्वपूर्ण पेपर कि ही काम होती है।इसमे बहुत छोटी छोटी छिद्र होते है
जिसे मैक्रोमीटर या(बीटा) द्वारा मापा जाता है।जो तकरीबन (Bx-10)या पांच मक्रोन के बराबर होता है।या फिर पेपर मिडिया के ऊपर निर्भर करता है।फिल्टर पेपर भी तीन प्रकार की होती है।जिसकी चर्चा हम अगले लेख मे करेंगे।जब फिल्टरेषण के दौरान पेपर की छिद्र ब्लोक या जाम हो जाती है ।और इंजन मे तेल की कमी होने लगती है।तब इंजन अपनी क्षमता (पावर)बढा कर तेल खिचती (ग्रहण)है।इस इस्थिती मे फिल्टर वाल ऊपर उठ जाती है और तेल सिधे इंजन मे चली जाती है।साथ ही हानिकारक तत्व भी चली जाती है।जिससे इंजन को नुकसान पहुंचती है।इसलिये फिल्टर समय से बदलबा लेनी चाहिए।तो दोस्तों ये लेख आपको कैसी लगी,अपना कमेंट या सुझाब जरुर लिखे।धन्यवाद ।
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